Wednesday 8 March 2017

नर्मदा बचाओ आंदोलन ने मनाया अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस, महिलाओं को मिला भू-अधिकार
पुनर्वास का हर लाभ पति-पत्नि के संयुक्त नाम पर होगा। 
       
बड़वानी, मार्च 8 : नर्मदा बचाओ आंदोलन का सत्याग्रही धरना आज चौथे दिन भी जारी है। रोज सैकडो लोग, युवा कार्यकर्ताओं की मदद से पुनर्वास के संपूर्ण लाभ लेने के लिए अपने आवेदन पेश कर रहे हैं। आज 88 में से 25 वसाहटों की सुविधाओं के संबंधी शिकायत पत्र शिकायत निवारण प्राधिकरण के समक्ष प्रस्तुत किये गये हैं। इन पत्रों से स्पष्ट है कि नर्मदा ट्रिब्यूनल के फैसले अनुसार बहुतांश सारी वसाहटों में संख्या व गुणवत्ता के साथ नागरी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं है। वसाहटों पर मूल गांव के हर सार्वजनिक, सामाजिक, धार्मिक केंन्द्र स्थालांतरित होने हैं।
 
 आज के रोज सैकडों मंदिर, दसौ मस्जिदों के साथ हजारों घर, शासकीय भवन या हजारों पेड भी मूल गांव में है............. क्या वे भी पुनर्वास स्थलों पर ले जाएंगे? क्या आज तक घर-प्लाॅटों के आबंटन में इतनी सारी धांधलीयाँ और भ्रष्टाचार निपटकर घर- प्लाॅट परिवर्तन किया जाएंगा? वह भी 31 जुलाई के पहले ?

गुजरात के विस्थापित आदिवासियों को भी आज तक क्रमिक अनशन जारी रखना पडा हैं। वहाँ बसाये कई परिवारों को पानी की सुविधा तक नहीं मिली, 15-20 साल से भी , या तो क्या  रोजगार मिलेगा, जिसके लिए उनकी लडत है ?

म.प्र. के गांव वार सर्वेक्षण बताते है, ग्राम पिपलुद, छोटा बडदा, पिपरी, खुजावा जैसे ऐतिहासिक, धार्मिक महत्व के गाव, डूबाने के क्षण तक कहाॅ ले जाएंगे इस धरोहर को? शासन का तो कहना है, नर्मदा किनारे कोई भी मंदिर राष्ट्रीय महत्व का नहीं है ! क्यों? नर्मदा ‘‘ स्त्री ‘‘का रुप लेकर बह रही है, क्या इसलिए इसे अपने कब्जे में लेने की साजिश पुरुष प्रधान व्यवस्था से हो रही है?
       
आज नर्मदा बचाओ आंदोलन ने महिलाओं के अनेकानेक अधिकारों को पाने की जीत मनायी। 

इस आंदोलन में संयुक्त खातेदार की भूमी अगर प्रभावित हो रही हो, तो ‘‘ पावती ‘‘ पर जिस का भी नाम है, उसमं महिला हो तो उसे भी स्वतंत्र भूमी का (2 हेक्टर्स) अधिकार प्रदान किया गया है। खातेदार के वयस्क पुत्र के साथ अविवाहित वयस्क पुत्री का अधिकार भी समान दर्जे का, भूमी व घर के लिए भूखण्ड पाने का मंजूर किया गया है। नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण ने कई परिवारों की विधवा माताएं खातेदार होते हुए भी उन्हें ‘‘ आश्रित ‘‘ बताकर, उनका 2 हेक्टर्स भूमी का अधिकार नामंजूर किया था। शिकायत निवारण प्राधिकरण पूर्ण कानूनी दायरे की छानबीन के साथ उनका हक मंजूर किया तो न.घा.वि.प्रा. ने इंदौर उच्च न्यायालय मं याचिका दाखिल की। 

हिरूबाई पिता केरिया पति नाथूसिंग भूमी देहदला में ग्राम कसरावद तथा तुलसीबाई बेवा शिवा ग्राम अवल्दा की याचिकाओं में एनव्हीडीए की याचिकाएं खारिज होकर महिला खातेदार और विधवा माताओं, का बच्चों से, पुरूषों से स्वतंत्र भूमी अधिकार इन्ंदौर उच्च न्यायालय ने मंजूर किया है। वैसे ही कई महिलाओं ने नर्मदा में, सरदार सरावेर प्रभावित के नाते अपना घर-प्लाॅट का हक भी लिया है। 

महिला भूमीधारीयों के साथ इस साल का महिला दिवस आंदोलन आज मना रहा है। 

(कमला यादव)           (शांता बहन)        (पेमल बहन)            (मेधा पाटकर)
संपर्क नं. 91796-17513               

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